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राष्ट्रभाषा क्या है

 राष्ट्रभाषा क्या है? हम अक्सर राष्ट्रभाषा, राज्यभाषा और राजभाषा के बारे में सुनते है, और confusion में पड़ जाते है कि ये तीनों एक है या अलग-अलग है, तो आज हम राष्ट्रभाषा के बारे में जानकारी देंगे कि राष्ट्रभाषा क्या है? तो आइये जानते हैं  राष्ट्रभाषा क्या हैं  जब कोई भाषा उन्नत और महत्वपूर्ण बन जाती हैं। पूरे राष्ट्र में अन्य भाषा क्षेत्र के साथ-साथ उसका प्रयोग सार्वजनिक आदि कामों में भी होता है, तो वह राष्ट्रभाषा कही जाने लगती हैं।  उदाहरण के लिए हम अग्रेंजी भाषा को ही लेते है यह व्यापार आदि क्षेत्रों में विश्व के लगभग सभी देशो में बोली जाती है जिस कारण यह अंतरराष्ट्रीय भाषा या विश्व भाषा है। इस प्रकार से राष्ट्रभाषा को हम निम्नलिखित बिन्दुओं में अंकित कर सकते है  राष्ट्रभाषा पूरे राष्ट्र में बोली जाने वाली  और सम्मानित भाषा हैं। राष्ट्रभाषा की मान्यता सार्वजनिक होती है।  इस भाषा की संरचना कार्यालयी नही होती है।  इस भाषा में  अलग-अलग भाषाओं के शब्द भी सहज रूप से शामिल होते रहते है आदि।

राजभाषा Official language क्या है

 राजभाषा(official language) क्या है  कई बार राजभाषा और राष्ट्रभाषा में हम confused हो जाते हैं। आज हम राजभाषा के बारे में बात करेंगे, कि राजभाषा क्या है। राजभाषा किसे कहते हैं? वैसी भाषा जिसका प्रयोग राज्य के कार्यों को करने में किया जाता है वैसी भाषा को राजभाषा कहा जाता है। राजभाषा को ही राज्यभाषा कहा जाता है। इसे कार्यालयी भाषा भी कहा जाता है। भारत की राजभाषा हिन्दी है। राजभाषा के शब्द प्रमाणिक होते है। इस भाषा के शब्द अर्थ भी सुनिश्चित होते है। यह द्विअर्थी भ्रमित करने वाले नहीं होते है। यह बिल्कुल स्पष्ट होते हैं। राजभाषा के लिये निम्नलिखित बिन्दुओं को रेखांकित किया जा सकता है  राजभाषा किसी भी राज्य की राज-काज की भाषा होती है। राजभाषा में विशेष रूप से स्वीकृत किये गये शब्दों का ही प्रयोग किया जाता है।  राजभाषा का स्वरूप कार्यालयी भाषा के रूप में होता है।  इसके शब्द दृढ़ होते है। यानि इसका स्वरूप लचीला नहीं होता है। और पढें  राष्ट्रभाषा क्या है?

भारत की राष्ट्रभाषा क्या है

 भारत की राष्ट्रभाषा क्या है अक्सर हमारे सामने यह प्रश्न आता है कि भारत की राष्ट्रभाषा क्या है? बहुत सारे लोग इस प्रश्न का उत्तर हिन्दी देते है। जबकि यह उत्तर सही नहीं हैं। जी हाँ, भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी नही है। तो आइये जानते हैं भारत की राष्ट्रभाषा क्या है? भारत की राष्ट्रभाषा क्या है? भारत की अभी कोई भी भाषा राष्ट्रभाषा नही हैं। हां भारत की राजभाषा हिन्दी जरूर है लेकिन संविधान के अनुसार हिन्दी को राष्ट्रभाषा नहीं माना हैं। भारत के संविधान के अनुसार हिंदी राजभाषा है। हिंदी अपने अहिन्दी प्रान्तों में और अन्य प्रांतों में भी धीरे-धीरे व्यवहार में आती जा रही है। राजस्थान, महाराष्ट्र गुजरात, कर्नाटक आदि जगहों पर वहां की स्थानीय भाषा के साथ-साथ हिन्दी का भी प्रयोग हो रहा है। इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि हिन्दी राष्ट्रभाषा का पद की ओर अग्रसर है।   राष्ट्रभाषा का अर्थ  राष्ट्रभाषा का तात्पर्य ऐसी भाषा से है, जो पूरे राष्ट्र या देश में प्रयोग की जाती है या फिर अन्य भाषा के साथ उस भाषा का प्रयोग होता है, साथ ही उसका प्रयोग सार्वजनिक आदि कामों में भी होता है।  और प...

राज्यपाल की स्थिति औरअधिकार

राज्यपाल की स्थिति और अधिकार (Position and function of Governor) राज्यपाल की स्थिति  राज्यपाल राज्य का प्रथम व्यक्ति होता है। वह राज्य का संवैधानिक अध्यक्ष होता है। लेकिन वास्तविक शक्तियां मुख्यमंत्री के पास होती है। राज्य की सभी कार्यकारी शक्तियां राज्यपाल के पास होती है और सारे कार्य उनके नाम पर ही होते है। राज्यपाल सभी कार्यकारी कार्य के लिए सिर्फ अपनी सहमति देते है। वह राज्य के मंत्रिपरिषद की सलाह मानने को बाध्य होता है।  राज्यपाल केन्द्र सरकार द्वारा नामित होता है जिसे राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। वह केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के बीच एक कड़ी का काम करता है। राज्यपाल के अधिकार  राज्यपाल के अधिकारों को निम्नलिखित रूप में स्पष्ट कर सकते है  कार्यपालिका संबंधी अधिकार  राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख राज्यपाल होता है, और कार्यपालिका की शक्तियाँ राज्यपाल में भी निहित होती है। जिनको वह स्वयं या अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा सम्पादित करते है। यानि वास्तविक शक्तियां मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद में निहित होती है। वह राज्य के विधानसभा में बहुमत...

भारतीय नागरिकों के मौलिक कर्तव्य

भारतीय नागरिकों के मौलिक (मूल) कर्तव्य  भारत के मूल संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का वर्णन तो था। लेकिन मौलिक (मूल) कर्तव्यों का उल्लेख नहीं था। स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर संविधान के 42वें संविधान संशोधन में इसे जोड़ा गया। इस अधिनियम में एक नया भाग-4 जोड़ा गया। इस नये भाग में अनुच्छेद 51 (क) को जोड़ा गया, जिसके अंतर्गत भारतीय नागरिकों के मौलिक कर्तव्य का उल्लेख किया गया है। इस तरह से मौलिक कर्तव्य 42वें संविधान संशोधन अधिनियम की मुख्य विशेषता है । इसके अलावा वर्ष 2002 में 86वें संविधान संशोधन अधिनियम के अंतर्गत एक और मौलिक कर्तव्य को जोड़ा गया है । स्वर्ण सिह समिति की सिफारिशों के आधार पर दस मौलिक कर्तव्य जोड़े गये है- संविधान का पालन करना और उसके आदर्शों,  सिद्धांतों,  संस्थाओं,  राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय गान के प्रति आदर भाव रखना । स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जिन आदर्शों को अपनाया गया था और जिनसे प्रेरणा मिली थी, उनपर चलना। भारत की सार्वभौमिकता, एकता, अखंडता में विश्वास करना और उसकी रक्षा करना। देश की सुरक्षा के लिए आवश्यकता के समय में राष्ट्रीय सेवा के ...

राज्यसभा के संगठन और अधिकार

राज्यसभा के संगठन, अधिकार और कार्य (The composition and power of Council of States) भारतीय संसद में दो सदनों होते है उपरी सदन और निचली  सदन। राज्यसभा भारतीय संसद का उच्च सदन होता है। राज्यसभा का संगठन  राज्यसभा में सदस्यों की संख्या अधिकतम 250 निश्चित की गई है। जिसमें 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित किये जाते है। ये सदस्य वैसे होते है जो साहित्य, कला, विज्ञान, समाज सेवा क्षेत्र में विशेष ज्ञान रखते हैं। ये नामित सदस्य कहे जाते है। अभी वर्तमान में राज्यसभा में 245 सदस्य है।  राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन राज्यों के विधानसभा में  निर्वाचित सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से होता है। राज्यसभा की निर्वाचन में इस बात का ख्याल रखा गया है कि प्रत्येक राज्य का प्रतिनिधित्व इसको प्राप्त हो। इसके लिये सीटों का आवंटन प्रत्येक राज्य की जनसंख्या के आधार पर किया गया है न कि राज्यों की समानता सिद्धार्थ के आधार पर जैसे आप देख सकते है उत्तर प्रदेश में प्रदेश से सदस्यों की संख्या सर्वाधिक है वही कुछ राज्यों जैसे मणिपुर,मेघालय, मिजोरम, नागालैण्ड, सिक्किम, त्रिपुरा, गोवा,...

प्रधानमंत्री के अधिकार और कार्य

प्रधानमंत्री के अधिकार और कार्य  (The power and functions of Prime Minister) प्रधानमंत्री की नियुक्ति और कार्यकाल  प्रधानमंत्री की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 75(1) के अंतर्गत राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है। राष्ट्रपति उस व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त करता है जो लोकसभा में बहुमत दल का नेता होता है। प्रधानमंत्री अपने पद पर तबतक बना रहता है जबतक लोकसभा में उसका बहुमत है। यदि लोकसभा में उसका बहुमत समाप्त हो जाता है तो ऐसी स्थिति में उसे त्यागपत्र देना पड़ेगा अन्यथा राष्ट्रपति द्वारा उसे बर्खास्त किया जा सकता है।  प्रधानमंत्री बनने के लिए यह अनिवार्य नही है कि वह लोकसभा का सदस्य हो। प्रधानमंत्री पद पर ऐसे व्यक्ति को भी नियुक्त किया जा सकता है जो किसी भी संसद सदन का सदस्य नहीं है। लेकिन छह माह के भीतर ही उसे लोकसभा का सदस्य बनना जरूरी होता है। प्रधानमंत्री को 5 वर्षों के लिए नियुक्त किया जाता है । लेकिन वह अपने  पद पर तबतक बना रहता जब तक उसे लोकसभा में बहुमत प्राप्त होता है।  प्रधानमंत्री के कार्य और अधिकार  प्रधानमंत्री देश के शासन व्यवस्था का सर्वोच्...

उच्च न्यायालय के संगठन और क्षेत्राधिकार

उच्च न्यायालय के संगठन और क्षेत्राधिकार ( The composition and jurisdiction of High Courth) भारत में उच्च न्यायालय विभिन्न राज्यों की अलग-अलग  न्यायपालिका है। यहां भी संयुक्त राज्य अमेरिका की तरह संघीय न्यायालय और अलग-अलग राज्यों के लिए अलग न्यायपालिका की व्यवस्था है। अमेरिका में संघीय सिद्धांत के अनुसार संघ तथा अलग इकाईयों के लिए दोहरी न्यायपालिका की व्यवस्था है । इस मामले में भारत अमेरिका से अलग है, हमारे देश में एकहरा सिद्धांत को अपनाया गया है । भारतीय  संघ में उच्च न्यायालयों को सर्वोच्च न्यायालय की देख-रेख में रखा गया है। भारत में उच्च न्यायालय का भारतीय संघ में विशेष महत्त्व है ।  बिहार का उच्च न्यायालय पटना में है, इसकी स्थापना 1916 ई. में की गई थी।  भारत में उच्च न्यायालय की स्थापना का प्रावधान भारतीय संविधान की अनुच्छेद-214, अध्याय-5 के भाग-6 में है, जिसके अनुसार  'प्रत्येक राज्य का एक उच्च न्यायालय होगा । दो या दो से अधिक राज्योंके लिए एक ही न्यायालय हो सकता है।' भारत के सभी अलग-अलग राज्यों के न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीश रहते है। अ...

मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्व में अंतर

मौलिक अधिकार और नीति-निर्देशक तत्व में अंतर  मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्व दोनों का वर्णन संविधान में किया गया है। मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्व दोनों अधिकार से संबंधित है। लेकिन दोनों में अलग-अलग प्रकार के अधिकार का उल्लेख किया गया है। आज हम इस लेख में मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्व के बीच के अंतर को स्पष्ट करेंगे।  मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्वों में मुख्य अंतर इस प्रकार से हैं  मौलिक अधिकार का उल्लेख संविधान के भाग-3 के अनुच्छेद 12 से 35 में मिलता है और नीति- निर्देशक तत्व का उल्लेख भाग-4 के अनुच्छेद 36 से 51 में किया गया है। मौलिक अधिकार को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका से लिया गया है वही नीति निर्देशक तत्व को आयरलैंड के संविधान से लिया गया है। मौलिक अधिकार को लागू करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति अदालत में जा सकता है वही नीति निर्देशक तत्वों को लागू करने के लिए अदालत जाने की आवश्यकता नहीं होती है। मौलिक अधिकार में कानूनी मान्यता होती है। जबकि नीति निर्देशक तत्व में सरकारी मान्यता होती है। मौलिक अधिकार नागरिकों को स्वतः ही मिल जाती है वही नीति निर्देशक तत्वो...

Maulik adhikar

Contents[hide] भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक अधिकार भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक अधिकार का वर्णन संविधान के भाग-3 के अनुच्छेद 12 से 35 में किया गया हैं। मौलिक अधिकार को अमेरिका के संविधान से लिया गया है। भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों की संख्या शुरुआत में सात 7 थी। 44वें संविधान संशोधन (1978) के अंतर्गत संपत्ति के अधिकार (अनुच्छेद-31और 19क) को हटा दिया गया। अभी वर्तमान में भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों की संख्या 6 हैं। भारतीय संविधान में वर्णित छह मौलिक अधिकार  1. समता या समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18) 2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22) 3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24) 4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28) 5. संस्कृति और शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30) 6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32) 1.समता या समानता का अधिकार  (अनुच्छेद 14 से 18) इसमें समता या समानता के अधिकार का उल्लेख किया गया है। अनुच्छेद -14 इसके अंतर्गत यह अधिकार दिया गया है कि राज्य सभी व्यक्तियों के लिए एकसमान कानून बनायेगा। अनुच्छेद -1...