प्रधानमंत्री के अधिकार और कार्य (The power and functions of Prime Minister)
प्रधानमंत्री की नियुक्ति और कार्यकाल
प्रधानमंत्री की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 75(1) के अंतर्गत राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है। राष्ट्रपति उस व्यक्ति को प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त करता है जो लोकसभा में बहुमत दल का नेता होता है। प्रधानमंत्री अपने पद पर तबतक बना रहता है जबतक लोकसभा में उसका बहुमत है। यदि लोकसभा में उसका बहुमत समाप्त हो जाता है तो ऐसी स्थिति में उसे त्यागपत्र देना पड़ेगा अन्यथा राष्ट्रपति द्वारा उसे बर्खास्त किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री बनने के लिए यह अनिवार्य नही है कि वह लोकसभा का सदस्य हो। प्रधानमंत्री पद पर ऐसे व्यक्ति को भी नियुक्त किया जा सकता है जो किसी भी संसद सदन का सदस्य नहीं है। लेकिन छह माह के भीतर ही उसे लोकसभा का सदस्य बनना जरूरी होता है।
प्रधानमंत्री को 5 वर्षों के लिए नियुक्त किया जाता है । लेकिन वह अपने पद पर तबतक बना रहता जब तक उसे लोकसभा में बहुमत प्राप्त होता है।
प्रधानमंत्री के कार्य और अधिकार
प्रधानमंत्री देश के शासन व्यवस्था का सर्वोच्च प्रधान होता है। हालांकि राष्ट्र का सर्वोच्च राष्ट्रपति होता है। लेकिन देश की शासन व्यवस्था प्रधानमंत्री के हाथ में होती है। इस बात को समझने के लिये अनुच्छेद-74 और अनुच्छेद-75 को हम जानते है।
अनुच्छेद-74
संविधान के इस अनुच्छेद के अंतर्गत राष्ट्रपति की सहायता के लिए एक मंत्री परिषद का गठन होगा। जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होता है।
अनुच्छेद-75
संविधान के अनुच्छेद-75 में प्रधानमंत्री के पद बारे मे बताया गया है।
प्रधानमंत्री के कार्य और अधिकार
प्रधानमंत्री के कार्य और अधिकार इस प्रकार है-
प्रधानमंत्री और संसद
- प्रधानमंत्री संसद का अधिवेशन बुलाता है और स्थगित भी करता करता है। लोकसभा का कार्यक्रम किस प्रकार से चलेगा, कौन सा प्रस्ताव पहले और कौन सा बाद में पेश किया जायेगा यह निर्णय लोकसभा का अध्यक्ष, प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता की सलाह पर ही करता है।
- सरकार की नीतियों का बचाव करना और विपक्ष की आलोचना का जवाब देना भी प्रधानमंत्री का जिम्मेदारी होती है।
- सदन में सभी महत्वपूर्ण नीतियों की घोषणा प्रधानमंत्री ही करता है। युद्ध जैसी घटना के समय इस विषय पर प्रधानमंत्री ही बोल सकता है।
- प्रधानमंत्री के पास यह विशेष अधिकार होता है कि वह लोकसभा को भंग करवा सकता है और नई सभा बुला सकता है।
मंत्रिपरिषद और प्रधानमंत्री
- प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का गठन करता है। मंत्रिपरिषद का गठन करना प्रधानमंत्री का विशेष अधिकार है।
- मंत्रिपरिषद मे कितने मंत्री होगें इसका निर्णय भी प्रधानमंत्री ही करता है । मंत्रिपरिषद में मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा भी प्रधानमंत्री ही करता है।
- मंत्रिपरिषद की बैठक प्रधानमंत्री ही बुलाता है और उसकी अध्यक्षता भी प्रधानमंत्री ही करता है।
- मंत्रियों के लिये मंत्रालय का निर्धारण भी प्रधानमंत्री ही करता है।
- मंत्रियों द्वारा होने वाले विकास कार्यो का नेतृत्व भी करता है।
मंत्रिमंडल और प्रधानमंत्री
- मंत्रिमंडल की बैठक की अध्यक्षता भी प्रधानमंत्री ही करता है।
- कार्य सूची भी वह ही तैयार करता है। सभी कार्य उसकी सहमति से ही किये जाते हैं। उसकी सहमति के बिना किसी विषय पर विचार नही किया जाता है और न ही कोई निर्णय लिया जाता है।
- विभिन्न मंत्रियों के बीच उठे विवाद को भी प्रधानमंत्री ही सुलझाता है। वह ही सभी अलग-अलग विभागों के बीच समन्वय बनाये रखता है।
- इसके अलावा वह मंत्रियों को त्यागपत्र देने के लिए बाध्य कर सकता है ऐसा नही होने पर वह सभा को बर्खास्त कर सकता है और नई सभा का गठन कर सकता है। वह जब चाहे मंत्रीमंडल में फेर-बदल कर सकता है।
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद और राष्ट्रपति के बीच की कड़ी है। प्रधानमंत्री की सलाह पर ही राष्ट्रपति किसी मंत्री को मनोनीत करता है।
- राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त महान्यायवादी, राज्य लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष, सदस्य और कुलपति आदि की नियुक्ति का परामर्श भी प्रधानमंत्री ही राष्ट्रपति को देता है।
- प्रधानमंत्री की सलाह पर ही राष्ट्रपति संसद के सदन को आरम्भ करता है और खत्म भी करता है।
अन्य महत्वपूर्ण अधिकार और कार्य
- अंतर्राज्यीय परिषद, नीति आयोग, राष्ट्रीय विकास परिषद, राष्ट्रीय एकता परिषद, जल संसाधन परिषद का अध्यक्ष प्रधानमंत्री ही होता है।
- प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का नेता होता है इसलिए पूरे देश पर शासन उसका अधिकार होता है।
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