मौलिक अधिकार और नीति-निर्देशक तत्व में अंतर
मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्व दोनों का वर्णन संविधान में किया गया है। मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्व दोनों अधिकार से संबंधित है। लेकिन दोनों में अलग-अलग प्रकार के अधिकार का उल्लेख किया गया है। आज हम इस लेख में मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्व के बीच के अंतर को स्पष्ट करेंगे।
मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्वों में मुख्य अंतर इस प्रकार से हैं
- मौलिक अधिकार का उल्लेख संविधान के भाग-3 के अनुच्छेद 12 से 35 में मिलता है और नीति- निर्देशक तत्व का उल्लेख भाग-4 के अनुच्छेद 36 से 51 में किया गया है।
- मौलिक अधिकार को संयुक्त राष्ट्र अमेरिका से लिया गया है वही नीति निर्देशक तत्व को आयरलैंड के संविधान से लिया गया है।
- मौलिक अधिकार को लागू करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति अदालत में जा सकता है वही नीति निर्देशक तत्वों को लागू करने के लिए अदालत जाने की आवश्यकता नहीं होती है।
- मौलिक अधिकार में कानूनी मान्यता होती है। जबकि नीति निर्देशक तत्व में सरकारी मान्यता होती है।
- मौलिक अधिकार नागरिकों को स्वतः ही मिल जाती है वही नीति निर्देशक तत्वों को जब सरकार लागू करती है तब ही नागरिकों को प्राप्त होती है।
- मौलिक अधिकार से सरकार के महत्व कम होते है जबकि नीति निर्देशक तत्व में सरकार का महत्व बढ़ जाते हैं।
- मौलिक अधिकार व्यक्ति के अधिकार के लिए है वही नीति निर्देशक तत्व समाज की भलाई के लिए है।
- मौलिक अधिकार में नागरिकों और राज्य केबीच संबंध का वर्णन मिलता है जबकि नीति निर्देशक तत्व में राज्य के संबंध और उनकी अंतरराष्ट्रीय नीति का वर्णन है।
- मौलिक अधिकार को राष्ट्रीय आपात की स्थिति में स्थगित किया जा सकता है लेकिन मौलिक अधिकार को स्थगित नहीं किया जा सकता है।
आशा है मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्व में अंतर से जुड़ी यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। इस पेज पर आने के लिए धन्यवाद !
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