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भारत की राष्ट्रभाषा क्या है

 भारत की राष्ट्रभाषा क्या है अक्सर हमारे सामने यह प्रश्न आता है कि भारत की राष्ट्रभाषा क्या है? बहुत सारे लोग इस प्रश्न का उत्तर हिन्दी देते है। जबकि यह उत्तर सही नहीं हैं। जी हाँ, भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी नही है। तो आइये जानते हैं भारत की राष्ट्रभाषा क्या है? भारत की राष्ट्रभाषा क्या है? भारत की अभी कोई भी भाषा राष्ट्रभाषा नही हैं। हां भारत की राजभाषा हिन्दी जरूर है लेकिन संविधान के अनुसार हिन्दी को राष्ट्रभाषा नहीं माना हैं। भारत के संविधान के अनुसार हिंदी राजभाषा है। हिंदी अपने अहिन्दी प्रान्तों में और अन्य प्रांतों में भी धीरे-धीरे व्यवहार में आती जा रही है। राजस्थान, महाराष्ट्र गुजरात, कर्नाटक आदि जगहों पर वहां की स्थानीय भाषा के साथ-साथ हिन्दी का भी प्रयोग हो रहा है। इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि हिन्दी राष्ट्रभाषा का पद की ओर अग्रसर है।   राष्ट्रभाषा का अर्थ  राष्ट्रभाषा का तात्पर्य ऐसी भाषा से है, जो पूरे राष्ट्र या देश में प्रयोग की जाती है या फिर अन्य भाषा के साथ उस भाषा का प्रयोग होता है, साथ ही उसका प्रयोग सार्वजनिक आदि कामों में भी होता है।  और प...

यात्रा वृतांत क्या है लेखक और रचनाएँ

 यात्रा वृतांत  यात्रा वृतांत क्या है? मानव प्रकृति और सौंदर्य के प्रति हमेशा आकर्षित रहा है घुमक्कड़ भी रहा है वह जब कही जाता है तो वह कुछ न कुछ अवश्य ही ग्रहण करता हैं। जब सौंदर्य बोध की दृष्टि से उल्लास भावना से प्रेरित होकर कोई यात्रा करता हैं, और फिर उसका मुक्त भाव से अभिव्यक्ति करता है, उसे ही यात्रा साहित्य या यात्रा वृतांत कहते हैं । दूसरे रूप में हम कह सकते हैं किसी स्थान में बाहर से आये व्यक्ति के द्वारा उस स्थान के बारे में अनुभवों के लिखें को यात्रा वृतांत कहते हैं। इस यात्रा वृतांत में व्यक्ति परखता, स्वच्छंदतावाद, आत्मीयता आदि गुण पाये जाते हैं। यात्रा वृतांत अलग-अलग शैली में लिखा जाता है जो अलग-अलग रूपों में होता है। इस साहित्य विद्या का उद्देश्य है लेखक के अनुभवों को हु-ब-हु प्रेषित करना जिससे पाठक उस अनुभव को महसूस कर सके और वहां के सौन्दर्य को जान सके, व पाठकों को देश काल के बारे में जानकारी मिल सके। यात्रा वृतांत साहित्य का आरंभ  मनुष्य आदि काल से ही यात्रा करता आ रहा हैं लेकिन यात्रा साहित्य का आरंभ आधुनिक युग को माना जाता है। आदिकाल  यात्राओं का आ...

Vyakaran kise kahate hai व्याकरण

व्याकरण किसे कहते हैं  वह शास्त्र जिससे हम भाषा को शुद्ध-शुद्ध बोलना, पढ़ना और लिखना  सिखते है|  उसे व्याकरण कहते हैं| व्याकरण का संबंध भाषा से होता हैं| भाषा वाक्यों के मेल से बनती हैं| वाक्य शब्दों के मेल से बनती हैं| शब्द अक्षर या वर्णों के मेल से बनता हैं| इसी आधार पर व्याकरण को तीन भागों में बांटा गया हैं| व्याकरण को तीन भाग है : वर्ण विचार (Orthography) शब्द विचार (Etymology) वाक्य विचार (Syntax)  वर्ण विचार (Orthography) भाषा का सबसे छोटा रूप वर्ण हैं, जिसका खंड या टुकड़ा नहीं किया जा सकता हैं| इस भाग में वर्णों के आकार, लिखने कि विधि और उच्चारण आदि पर विचार किया जाता हैं| शब्द विचार (Etymology) इस भाग में हम शब्दों के भेद, उसकी बनावट, उत्पत्ति, मेल, आदि के बारे में सिखते हैं|  वाक्य विचार( Syntax) इस भाग में हमलोग वाक्यों कि रचना, उनके भेद, वाक्यों के उप भाग में सम्बन्ध और वीराम चिन्ह आदि के बारे में जानते हैं|

राज्यपाल की स्थिति औरअधिकार

राज्यपाल की स्थिति और अधिकार (Position and function of Governor) राज्यपाल की स्थिति  राज्यपाल राज्य का प्रथम व्यक्ति होता है। वह राज्य का संवैधानिक अध्यक्ष होता है। लेकिन वास्तविक शक्तियां मुख्यमंत्री के पास होती है। राज्य की सभी कार्यकारी शक्तियां राज्यपाल के पास होती है और सारे कार्य उनके नाम पर ही होते है। राज्यपाल सभी कार्यकारी कार्य के लिए सिर्फ अपनी सहमति देते है। वह राज्य के मंत्रिपरिषद की सलाह मानने को बाध्य होता है।  राज्यपाल केन्द्र सरकार द्वारा नामित होता है जिसे राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। वह केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के बीच एक कड़ी का काम करता है। राज्यपाल के अधिकार  राज्यपाल के अधिकारों को निम्नलिखित रूप में स्पष्ट कर सकते है  कार्यपालिका संबंधी अधिकार  राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख राज्यपाल होता है, और कार्यपालिका की शक्तियाँ राज्यपाल में भी निहित होती है। जिनको वह स्वयं या अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा सम्पादित करते है। यानि वास्तविक शक्तियां मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद में निहित होती है। वह राज्य के विधानसभा में बहुमत...

सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार

 सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार (jurisdiction of Supreme Court) सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार निम्न प्रकार से है- 1. प्रारंभिक या मूल क्षेत्राधिकार  प्रारंभिक या मूल क्षेत्राधिकार का वर्णन संविधान के अनुच्छेद-131 में किया गया है। इसके अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय निम्न प्रकार के मामलों की सुनवाई करता है। दो या दो से अधिक राज्यों के बीच के विवाद की सुनवाई करता है । भारत सरकार तथा एक या एक से अधिक संघ राज्यों के बीच विवाद । एक तरफ भारत सरकार और एक या एक से अधिक राज्यों तथा दूसरी तरफ एक या एक से अधिक अन्य राज्यों के बीच विवाद। इसके अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय उस विवाद को निर्णय के लिए स्वीकार करेगी, जिसमें किसी तथ्य या विधि का प्रश्न शामिल हो। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से सम्बंधित भी सर्वोच्च न्यायालय के प्रारंभिक क्षेत्राधिकारके अंतर्गत आते है। संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत नागरिकों के मौलिक अधिकारों की अवहेलना होने पर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका देने का अधिकार दिया गया है। इसलिए नागरिकों के मौलिक अधिकार से संबंधित अभियोग भी सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिक...

भारतीय नागरिकों के मौलिक कर्तव्य

भारतीय नागरिकों के मौलिक (मूल) कर्तव्य  भारत के मूल संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का वर्णन तो था। लेकिन मौलिक (मूल) कर्तव्यों का उल्लेख नहीं था। स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर संविधान के 42वें संविधान संशोधन में इसे जोड़ा गया। इस अधिनियम में एक नया भाग-4 जोड़ा गया। इस नये भाग में अनुच्छेद 51 (क) को जोड़ा गया, जिसके अंतर्गत भारतीय नागरिकों के मौलिक कर्तव्य का उल्लेख किया गया है। इस तरह से मौलिक कर्तव्य 42वें संविधान संशोधन अधिनियम की मुख्य विशेषता है । इसके अलावा वर्ष 2002 में 86वें संविधान संशोधन अधिनियम के अंतर्गत एक और मौलिक कर्तव्य को जोड़ा गया है । स्वर्ण सिह समिति की सिफारिशों के आधार पर दस मौलिक कर्तव्य जोड़े गये है- संविधान का पालन करना और उसके आदर्शों,  सिद्धांतों,  संस्थाओं,  राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय गान के प्रति आदर भाव रखना । स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जिन आदर्शों को अपनाया गया था और जिनसे प्रेरणा मिली थी, उनपर चलना। भारत की सार्वभौमिकता, एकता, अखंडता में विश्वास करना और उसकी रक्षा करना। देश की सुरक्षा के लिए आवश्यकता के समय में राष्ट्रीय सेवा के ...

राज्यसभा के संगठन और अधिकार

राज्यसभा के संगठन, अधिकार और कार्य (The composition and power of Council of States) भारतीय संसद में दो सदनों होते है उपरी सदन और निचली  सदन। राज्यसभा भारतीय संसद का उच्च सदन होता है। राज्यसभा का संगठन  राज्यसभा में सदस्यों की संख्या अधिकतम 250 निश्चित की गई है। जिसमें 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित किये जाते है। ये सदस्य वैसे होते है जो साहित्य, कला, विज्ञान, समाज सेवा क्षेत्र में विशेष ज्ञान रखते हैं। ये नामित सदस्य कहे जाते है। अभी वर्तमान में राज्यसभा में 245 सदस्य है।  राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन राज्यों के विधानसभा में  निर्वाचित सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से होता है। राज्यसभा की निर्वाचन में इस बात का ख्याल रखा गया है कि प्रत्येक राज्य का प्रतिनिधित्व इसको प्राप्त हो। इसके लिये सीटों का आवंटन प्रत्येक राज्य की जनसंख्या के आधार पर किया गया है न कि राज्यों की समानता सिद्धार्थ के आधार पर जैसे आप देख सकते है उत्तर प्रदेश में प्रदेश से सदस्यों की संख्या सर्वाधिक है वही कुछ राज्यों जैसे मणिपुर,मेघालय, मिजोरम, नागालैण्ड, सिक्किम, त्रिपुरा, गोवा,...