संधि (Combination) और संधि के प्रकार
आज का हमारा topic है संधि जिसकी हम चर्चा करेंगे। संधि यानि combination क्या है और इसके कितने प्रकार है तो शुरू करते हैं और जानते हैं संधि Combination और संधि के प्रकार के बारे में
संधि क्या है?
दो वर्णों के मेल से जो विकार उत्पन्न होते हैं उसे संधि कहते हैं। वर्णों के मेल के कारण उनकी ध्वनि में परिवर्तन आ जाता है।
जैसे
देव+आलय = देवालय
देव +इन्द्र = देवेन्द्र
नमः+कार = नमस्कार
इत्यादि ।
संधि के प्रकार
संधि के तीन प्रकार हैं
- स्वर संधि
- व्यंजन संधि
- विसर्ग संधि
स्वर संधि
जब दो स्वरों का मेल होता है और उनमें जो परिवर्तन होता है उसे स्वर संधि कहते हैं ।
स्वर संधि के पाँच भेद होते हैं
- दीर्घ संधि
- गुण संधि
- वृद्धि संधि
- यण् संधि
- अनादि संधि
दीर्घ संधि
जब ह्रस्व या दीर्घ अ,इ,उ के बाद ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ परस्पर
निकट आ जाएँ, तो दोनों को मिलाकर दीर्घ आ,ई,ऊ हो जाते हैं।
Example
विद्या + आलय (आ+आ=आ) - विद्यालय
मत+अनुसार (अ+अ=आ) - मतानुसार
परम+आनन्द (अ+आ=आ) - परमानंद
मही+इन्द्र (ई+इ=ई) - महिन्द्र
इत्यादि ।
गुण संधि
'अ' और 'आ' स्वरों के बाद जब ह्रस्व या दीर्घ इ, उ या ऋ आते हैं तो दोनों के स्थान पर क्रमशः ए, ओ और अर् हो जाता है।
Example
देव+इन्द्र (अ+इ=ए) = देवेन्द्र
देव+ईश ( अ+ई= ए) = देवेश
चन्द्र +उदय (अ+उ=ओ) = चन्द्रोदय
महा+उत्सव (आ+उ=ओ) = महोत्सव
महा + ऋषि (आ+ऋ=अर) = महर्षि
आदि ।
वृद्धि संधि
'अ','आ' के बाद अगर ए,ऐ ओ, औ स्वर आ जाए तो ऐसी स्थिति में दोनों (अ,आ) के स्थान पर क्रमशः 'ऐ' और 'औ' आ बन जाते हैं।
Example
सदा+एव (आ+ए=ऐ) = सदैव
महा+ऐश्वर्य ( आ+ऐ=ऐ) = महिन्द्रा
महा+औषध (आ+औ=औ) = महौषध
महा+ओजस्वी (आ+ओ=औ) = महौजस्वी
आदि ।
यण संधि
इ, ई, उ, ऊ और ऋ के बाद अगर कोई अन्य स्वर आ जाए तब इ और ई का 'य' , उ और ऊ का 'व' और ऋ का 'र्' बन जाता है।
Example
प्रति + एक (इ+ए=ये) = प्रत्येक
यदि + अपि (इ+अ=य) = यद्यपि
अति + उक्ति (ई + उ=यु) = अत्युक्ति
पितृ + आज्ञा ( ऋ+ आ=रा) = पित्राज्ञा
आदि।
अयादि संधि
जब ए, ऐ, ओ, औ के बाद कोई अन्य दूसरा स्वर आ जाए तब इनके स्थान पर क्रमशः अय, आय, अव, तथा आव हो जाता है।
Example
ने + अन (ए+अ=अय ) = नयन
नै + अक (ऐ+ अ=आय) = नायक
शे + अन (ए+अ=अय) = नयन
पो + अन (ओ+अ=अव) = पवन
पौ + अन (औ+अ=आव) = पावन
इत्यादि।
व्यंजन संधि
जब दो वर्णों के मेल में पहला व्यंजन हो और दूसरा स्वर या फिर व्यंजन होता है, तो दोनों के मेल को व्यंजन संधि कहते हैं।
जैसे
जगत् + नाथ (त्+न=न्न) = जगन्नाथ
जगत् + ईश (त् + ई=दी) = जगदीश
दिक् + गज (क् + ग=ग्ग) =दिग्गज
आदि।
व्यंजन संधि को तीन प्रकार से बाँट सकते हैं
- व्यंजन और व्यंजन के मेल से संधि
- व्यंजन और स्वर के मेल संधि
- स्वर और व्यंजन के मेल से संधि
व्यंजन और व्यंजन के मेल से (संधि)
इसमें दो वर्णों के मेल में पहला व्यंजन होता हैं और दूसरा भी व्यंजन होता हैं।
Example
दिक् + गज (क् + ग=ग्ग) = दिग्गज
सम् + वाद (म् + व=म्व) = संवाद
सम् + सार ( म् + स=न्स) = संसार
आदि
व्यंजन और स्वर के मेल से (संधि)
इसमें दो वर्णों के मेल में पहला व्यंजन होता हैं और दूसरा स्वर होता है।
Example
वाक् + ईश (क् +ई=गी) = वागीश
जगत् + ईश (त्+ई=दी) = जगदीश
दिक् + अम्बर (क्+अ=ग) = दिगम्बर
आदि।
स्वर और व्यंजन के मेल से (संधि)
इसमें दो वर्णों के मेल में पहला स्वर और दूसरा व्यंजन होता ।
Example
परि + छेद(इ+छ= च्छ) =परिच्छेद
वि + सम(इ+स=इस) = विषम
अनु + छेद (उ+छ=उच्छ) = अनुच्छेद
स्व + छंद (अ+छ=अच्छ) = स्वच्छंद
आदि।
विसर्ग संधि
जब विसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन आता है, तो जो परिवर्तन होता है उसे विसर्ग संधि कहते हैं।
उदाहरण
निः + संदेह (अः+स=निस्स) =निस्संदेह
मनः + रथ (अः+र=ओर) = मनोरथ
यशः + दा (अः+द=ओद) =यशोदा
सरः + ज (ओ+ज=ओज) = सरोज
आदि।
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