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भारत में बेरोजगारी के कारण

 भारत में बेरोजगारी के कारण और निवारण 

भारत में बेरोजगारी के कारण 

भारत में बेरोजगारी के कई कारण हैं। जिनमें प्रमुख कारण  निम्नलिखित रूप से हैं -

1. जनसंख्या वृद्धि 

भारत में बेरोजगारी के प्रमुख कारणों में से एक कारण है जनसंख्या वृद्धि। जनसंख्या की वृद्धि रोजगार के अवसर के अनुपात में अधिक हैं। जिस कारण हम कह सकते हैं कि जनसंख्या वृद्धि से बेरोजगारी को बढ़ावा मिलता है।

2. कृषि 

हम सभी जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारत की अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा भाग कृषि से ही आता है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आजीविका का मुख्य साधन कृषि ही है। फिर भी कृषि कार्य के क्षेत्र में कुछ कमी कुछ अभाव जैसे- भूमि सुधार, तकनीकी अभाव, भूमिधारिता की सीमा आदि के कारण और राजनीतिक एवं प्रशासनिक उदासीनता से भारत कृषि से बेरोजगार हो रहा हैं ।

3. शिक्षा प्रणाली 

भारत के बेरोजगारी के प्रमुख कारणों में दोषपूर्ण शिक्षा भी एक कारण हैं। दोषपूर्ण शिक्षा का अर्थ है सही तरह की शिक्षा का सही ढ़ंग से छात्रों तक नही पहुंचना। इसके अलावा शिक्षा का अभाव भी दोषपूर्ण शिक्षा है। विद्यालयों में सिर्फ किताबी शिक्षा ही दी जाती है व्यवहारिक शिक्षा का अभाव रहता है। शिक्षा जो सभी के महत्वपूर्ण होता है विशेष रूप से युवाओं के लिए। युवा वर्ग अच्छी शिक्षा से वंचित रह जाने के कारण रोजगार प्राप्त नहीं कर पाता है।

4. मशीनीकरण 

 मशीनीकरण का अर्थ है किसी भी छोटे-बड़े काम को करने के लिये मशीन का ही प्रयोग करना। वह सारे कार्य जिसे पहले लोगो द्वारा करवाये जाते थे अब वही सारे कार्य मशीनों द्वारा कराए जाते है। जिस कारण सभी कामगार बेरोजगार रह गये और इससे भी बेरोजगारी में बढ़ोतरी हुई है। 

5. लघु और कुटीर उद्योग का विघटन 

औद्योगिक विकास का लघु उद्योग और कुटीर उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। भारत के ग्रामीण इलाकों में यह उद्योग आय के प्रमुख साधनों में से एक है।

6. श्रम की गतिहीनता 

भारत में श्रम के प्रति गतिहीनता देखी जाती है। परिवार समाज से लगाव के कारण दूर-दराज के इलाकों में काम करने के लिए नहीं जा पाते हैं। श्रम की गतिहीनता के लिए कुछ और कारक भी जिम्मेदार है जैसे- भाषा,धर्म, जलवायु। ग्रामीण क्षेत्रों से दूर के इलाकों काम के लिए जाने पर वहां की अलग भाषा होने के कारण सामंजस्य नहीं बना पाते है। इसी प्रकार अलग-अलग धर्म के होने पर सामंजस्य बनाने में थोड़ा समय लग जाता है। जलवायु के अलग होने के कारण वहां के जलवायु के अनुसार adjust होने में भी समय लग जाता है। 

7.मार्गदर्शन का अभाव 

ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों में परम्परा मानने, अज्ञान और अंधविश्वास में रहने के कारण वे सही तरह से जागरूक नहीं हो पाते है जिस कारण वे सही समय पर नौकरी या काम-धंधे की तलाश नहीं कर पाते है और नौकरी के अवसरों की जानकारी से भी अनजान रह जाते हैं।

8. रोजगार की अपर्याप्ता

बढ़ती जनसंख्या के अनुरूप रोजगार भी बढ़ने चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है जनसंख्या तो बढ़ रही है लेकिन रोजगार के अवसर में वृद्धि नहीं हो पा रही हैं। 


बेरोजगारी को कम करने के लिये कुछ कदम उठाये जा सकते जो निम्नलिखित है 
  • भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास हो, जिससे उन्हें वही रोजगार  उपलब्ध हो। इससे शहरी क्षेत्र में ग्रामीण लोगों का प्रवास कम होगा और शहरी क्षेत्रों की नौकरियों पर दबाव कम होगा। 
  • कृषि निर्माण,  जनसंख्या नियंत्रण, शिक्षा में सुधार आदि पर विशेष ध्यान देना। 
  • औद्योगिक गतिविधियों का विकेन्द्रीकरण हो, जिससे सभी क्षेत्रों के लोगों को रोजगार मिल सके। 

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